अम्बिकापुर | विशेष रिपोर्ट | सुरेश गाईन | सरगुजा टाइम्स
ग्राम पंचायत सकालो में एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है – पंचायत चुनाव को तीन महीने से ज़्यादा बीत चुके हैं, लेकिन आज तक नवनिर्वाचित सरपंच को प्रभार ही नहीं सौंपा गया! और इस प्रशासनिक सुस्ती की कीमत चुकानी पड़ रही है पूरे गांव को – बदहाल रास्तों, ठप पड़ी योजनाओं और प्रशासनिक पंगुता के रूप में।
जब हमारे संवाददाता ने ग्राम पंचायत सकालो के नवनिर्वाचित सरपंच से बात की, तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा
नवनिर्वाचित सरपंच : सुरेश। ..

“मुझे अब तक पंचायत का प्रभार नहीं सौंपा गया है, इसी कारण मैं किसी भी पंचायत कार्य में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।”
अब सवाल ये उठता है:
👉 क्या ये एक आम तकनीकी चूक है या जानबूझकर की जा रही प्रशासनिक लापरवाही?
👉 अगर सरपंच ही “प्रभारी” नहीं है, तो फिर गांव की बागडोर किसके हाथ में है?
👉 क्या ये लोकतंत्र का अपमान नहीं है, जब जनता द्वारा चुना गया प्रतिनिधि अधिकारविहीन बना बैठा है?
इस लापरवाही के गंभीर परिणाम पहले ही दिखने लगे हैं:
बाईपास रोड निर्माण से ग्रामीण रास्ता पूरी तरह बाधित
बारिश में दलदल में तब्दील रास्ते से ग्रामीणों की आवाजाही ठप
प्रशासन और पंचायत दोनों की चुप्पी – ग्रामीण त्रस्त
⚠️ प्रशासन की चुप्पी अब संदेह के घेरे में है।
तीन महीने बाद भी प्रभार नहीं देना क्या सिर्फ़ “कागज़ी देरी” है या इसके पीछे कोई और कहानी है?
📣 अब जनता पूछ रही है: “अगर सरपंच को प्रभार नहीं, तो हमें अधिकार कैसे मिलेंगे? अगर पंचायत मौन, तो न्याय कौन देगा?”