Sunday, July 20, 2025
28 C
Ambikāpur
Sunday, July 20, 2025

Ambikapur: गरीबों की योजना, अमीरों का धंधा! आयुष्मान में खुला घोटाले का जाल” lifeline Hospital Ambikapur 📍

Must read

SURESH GAIN
SURESH GAINhttp://www.surgujatimes.in/
"Designation'' .Chief Editor & .District reporter .From-Ambikapur Surguja C.G.497001 .Whatsapp & Call Mo.070002-54103
- Advertisement -
- Advertisement -
- Advertisement -

Ambikapur: “टेक्निकल इशू” या सुनियोजित लूट? अंबिकापुर के अस्पताल पर आयुष्मान योजना की धज्जियाँ उड़ाने का आरोप, अब न्याय की मांग

सुरेश गाईन|सरगुजा टाइम्स /अंबिकापुर, छत्तीसगढ़:
पांचवीं अनुसूची क्षेत्र सरगुजा में स्वास्थ्य सेवाओं की आड़ में भ्रष्टाचार के खेल का पर्दाफाश हुआ है। अंबिकापुर स्थित लाइफ लाइन अस्पताल पर आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज के बावजूद मरीज से लाखों रुपये वसूलने का गंभीर आरोप लगा है। इस पूरे प्रकरण की शिकायत जागरूक समाजसेवी दीपक मानिकपुरी ने की है, जिन्होंने न्याय की मांग करते हुए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को पत्र सौंपा है।
क्या है पूरा मामला?
ग्राम पंचायत रामनगर, थाना बिश्रामपुर, जिला सूरजपुर की निवासी राजकुमारी देवी को 11 फरवरी 2025 को सीने में दर्द की शिकायत पर जिला अस्पताल सूरजपुर से अंबिकापुर रेफर किया गया। रात करीब 9 से 10 बजे के बीच परिजनों ने उन्हें लाइफ लाइन अस्पताल, अंबिकापुर में भर्ती कराया।

मरीज के पास आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का वैध कार्ड था (मेंबर ID: PO62V1T6G)। आरटीआई के माध्यम से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अस्पताल ने इस कार्ड का दो बार लाभ उठाया:
12 फरवरी से 17 फरवरी 2025 — मेडिकल केस के तहत ₹50,000 की स्वीकृति
17 फरवरी से 20 फरवरी 2025 — सर्जिकल केस के तहत ₹72,200 की स्वीकृति
फिर भी हुई लाखों की वसूली
12 फरवरी की रात अस्पताल ने परिजनों से ₹40,000 नकद वसूल कर “MIREL for intravenous use only” इंजेक्शन लगाया।
इसके बाद इलाज के दौरान विभिन्न दवाओं और टेस्टों के नाम पर ₹1,60,330/- नकद और वसूले गए।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि सर्जरी 16 फरवरी को कर दी गई, जबकि योजना के तहत सर्जरी की स्वीकृति 17 फरवरी से दर्शाई गई है।
जब परिजनों ने पूछा कि योजना के बावजूद भुगतान क्यों लिया गया, तो जवाब मिला कि “टेक्निकल इशू के कारण कार्ड ब्लॉक नहीं हो पाया।”
डॉक्टरों के बयान में विरोधाभास
इस केस को और विवादास्पद बना दिया दो वरिष्ठ डॉक्टरों के विपरीत बयानों ने:
डॉ. सूर्यवंशी (हृदय रोग विशेषज्ञ, रायपुर) ने सर्जरी के तुरंत बाद दावा किया कि “ब्लॉकेज का सफल ऑपरेशन हो गया है, मरीज अब स्वस्थ है।”
लेकिन 2 दिन बाद डॉ. असाटी ने कहा कि “अभी दो और ब्लॉकेज बाकी हैं, जिनकी सर्जरी एक महीने बाद की जाएगी।”
इसके बाद परिजनों में आक्रोश फैल गया और दबाव बढ़ने पर दोनों डॉक्टरों ने आपसी सहमति से बयान बदला कि “हां, दो ब्लॉकेज और बाकी हैं।”
अब सवाल यह उठता है:
🔹 यदि पहले से तीन ब्लॉकेज थे तो सिर्फ एक की ही सर्जरी क्यों की गई?
🔹 क्या अस्पताल ने जानबूझकर चरणबद्ध इलाज कर अधिक वसूली की योजना बनाई?
समाजसेवी दीपक मानिकपुरी का आरोप
दीपक मानिकपुरी, जो कि आदिवासी बहुल सरगुजा क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के लिए लंबे समय से सक्रिय हैं, ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा:
“यह गरीबों की योजनाओं को लूटने का संगठित प्रयास है। जिस योजना का उद्देश्य मुफ्त इलाज है, वहीं निजी अस्पताल लालच के चलते मरीजों की जान से खेल रहे हैं। इसकी निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।”

कहां-कहां की गई शिकायत
परिजनों और दीपक मानिकपुरी द्वारा 19 मई 2025 को शिकायतें निम्नलिखित अधिकारियों को दी गईं:

थाना कोतवाली, अंबिकापुर
जिला कलेक्टर, सरगुजा
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO), सरगुजा
इस मामले में उठ रहे प्रमुख सवाल:
“टेक्निकल इशू” क्या सिर्फ बहाना था? या एक सुनियोजित तरीका मरीज से पैसे ऐंठने का?
यदि आयुष्मान कार्ड पर पहले से मंजूरी थी, तो अस्पताल ने नकद राशि क्यों वसूली?
सरकारी योजनाओं पर निगरानी क्यों नहीं है, और क्यों नहीं होता ऑडिट?
डॉक्टरों के विपरीत बयान से मरीजों के मन में विश्वास कैसे कायम रहेगा?
जनता की मांग:
इस केस के सामने आने के बाद अब जन प्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम जनता की मांग है:

लाइफ लाइन अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की जाए।
आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत सभी क्लेम्स की स्वतंत्र ऑडिट कराई जाए।
दोषी डॉक्टरों व अस्पताल प्रबंधन पर लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई की जाए।
भविष्य में इस प्रकार के मामलों से बचने के लिए रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया जाए।
निष्कर्ष
यह मामला केवल एक अस्पताल या एक मरीज तक सीमित नहीं है। यह उस प्रणाली की विफलता का प्रतीक है, जिसमें गरीबों के लिए शुरू की गई योजनाओं को मुनाफाखोर अस्पतालों ने शोषण का जरिया बना लिया है। जब तक सिस्टम पारदर्शी नहीं होगा, तब तक ‘आयुष्मान’ केवल नाम रहेगा – असली लाभ गरीबों तक नहीं पहुंचेगा।

📌 अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन इस गड़बड़ी को किस स्तर तक संज्ञान में लेकर कार्रवाई करता है। क्या सच में न्याय होगा, या फिर सब कुछ “टेक्निकल इशू” के नीचे दब जाएगा?

- Advertisement -

Breaking News : पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भिलाई निवास पर ED की दबिश, 8 अधिकारियों की पहुंची टीम ..पढ़े पूरी ख़बर

Breaking News :सरगुजा टाइम्स । रायपुर. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भूपेश बघेल के घर शुक्रवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ED)...

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Bilaspur

Reporters

- Advertisement -

Latest article