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मध्यप्रदेश में राशन घोटाला गरीबों का हक़ मारा, अमीर उठा रहे लाभ — मुरैना में बीपीएल कार्ड का गोरखधंधा बेनक़ाब

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MAHENDRA SINGH LAHARIYA
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मध्यप्रदेश में राशन घोटाला

गरीबों का हक़ मारा, अमीर उठा रहे लाभ — मुरैना में बीपीएल कार्ड का गोरखधंधा बेनक़ाब

रिपोर्टर: महेन्द्र सिंह लहरिया

मुरैना। मध्यप्रदेश में गरीबों के हक़ पर डाका डालने वाला एक बड़ा घोटाला सामने आया है। प्रदेश में गरीबों के लिए चलाई जा रही बीपीएल कार्ड और राशन योजना अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। मुरैना ज़िले में यह खेल सबसे ज़्यादा उजागर हुआ है, जहां रोज़ाना 3 से 6 हज़ार रुपये की रिश्वत लेकर बीपीएल कार्ड बनाए जा रहे हैं।

अमीरों के पास बीपीएल कार्ड, गरीब लाइन में खड़े

जिन परिवारों के पास चार-चार गाड़ियां, पक्के मकान, महंगी संपत्ति और व्यापार हैं, वे भी अब बीपीएल सूची में शामिल हो चुके हैं। ये परिवार सरकारी राशन दुकानों से हर महीने गेंहू, चावल, शक्कर और केरोसिन तक उठाते हैं, जबकि ज़मीनी सच्चाई यह है कि जिनके पास खाने तक को अनाज नहीं है, वे महीनों से चक्कर काट रहे हैं।

गरीबों को यह कहकर डराया-धमकाया जाता है कि अगर ज़्यादा शिकायत की तो—

“आपका नाम सूची से काट दिया जाएगा।”

“जेल भेज देंगे।”

“कार्रवाई कर दी जाएगी।”

दलाल और पटवारी की मिलीभगत

इस गोरखधंधे में स्थानीय दलालों और राजस्व अमले (पटवारी तक) की मिलीभगत साफ तौर पर सामने आई है। दलाल खुलेआम गरीबों से कहते हैं —
“अगर कार्ड बनवाना है तो 3 से 6 हज़ार रुपये देने होंगे, तभी नाम सूची में डल पाएगा।”

स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह खेल गांव से लेकर तहसील तक फैला हुआ है। दलाल पैसा लेकर सीधे अधिकारियों तक पहुंच बनाते हैं और अमीरों का नाम आसानी से जोड़वा देते हैं।

गरीबों का दर्द

कई गरीब परिवारों का कहना है कि उन्होंने महीनों से आवेदन कर रखा है, लेकिन हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर उन्हें टाल दिया जाता है।
एक किसान ने बताया —
“हम सुबह से लाइन में खड़े रहते हैं, कभी कहते हैं कि सर्वर डाउन है, कभी कहते हैं कि फॉर्म अधूरा है, तो कभी कहते हैं कि जांच होगी। लेकिन अमीर आदमी पैसा देकर एक ही दिन में कार्ड बनवा लेता है।”

राशन घोटाला ले रहा नया मोड़

अब यह मामला केवल बीपीएल कार्ड तक सीमित नहीं है, बल्कि राशन घोटाला एक नया मोड़ ले चुका है। हजारों टन सरकारी अनाज हर महीने उन घरों तक पहुंच रहा है, जिनके पास किसी भी चीज़ की कमी नहीं है। वहीं गरीब किसान और मज़दूरों को अपने बच्चों के लिए दो वक्त की रोटी तक जुटाना मुश्किल हो रहा है।

राशन दुकानों पर भी गड़बड़ी की शिकायतें सामने आई हैं। कई जगह गरीबों को पूरा अनाज नहीं दिया जाता, जबकि रिकॉर्ड में पूरा वितरण दिखाया जाता है। यह साफ तौर पर बताता है कि राशन घोटाले की जड़ें कितनी गहरी हैं।

कार्रवाई कब होगी?

लोगों का कहना है कि अगर सरकार ने इस मामले में तुरंत जांच नहीं कराई तो आने वाले समय में यह घोटाला प्रदेश का सबसे बड़ा जनकल्याण घोटाला साबित होगा।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर गरीबों को उनका हक़ नहीं मिला तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

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