अम्बिकापुर 14 मई 2025/ छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने बुधवार को जिला पंचायत सभाकक्ष अम्बिकापुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज प्रदेश स्तर पर 313 वीं व जिला स्तर पर 09 वीं सुनवाई हुई।सरगुजा एवं सूरजपुर जिले को मिलाकर आज की जन सुनवाई में कुल 43 प्रकरणों में सुनवाई हुई। जिनमें से आयोग द्वारा 06 प्रकरण नस्तीबद्ध किए गए तथा 03 प्रकरण सुनवाई हेतु रायपुर भेजा गया। सुनवाई के दौरान अपर कलेक्टर सरगुजा श्री अमृत लाल ध्रुव उपस्थित रहे।
सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदक दोनों उपस्थित थे। इसमें अनावेदक क्रमांक 03 थाना प्रभारी थाना सूरजपुर अनुपस्थित था। तीन दिन तक थाने में आवेदिका के साथ शारीरिक एवं मानसिक अत्याचार किए जाने के कारण, उन्हें उपस्थित होने के लिये आईजी सरगुजा एवं एसपी सूरजपुर को पत्र प्रेषित कर उनके खिलाफ शोकॉज नोटिस जारी करने कहा गया। अनावेदक क्रमांक 01 और 02 के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं किया गया। आवेदिका घरेलू काम करने वाली महिला है, जिसके उपर अनावेदक क्रमांक एक ने 8 तोला सोना चोरी करने का शक किया था, जिसको लेकर अनावेदक क्रमांक 03 ने आवेदिका के साथ शारीरिक एवं मानसिक अत्याचार किया था। इस पूरे मामले की एसपी सूरजपुर से जांच करा कर आयोग को रिपोर्ट प्रेषित करने कहा गया।

अन्य प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदक उपस्थित थे। अनावेदक क्रमांक 11 चौकी प्रभारी वर्तमान में पुलिस चौकी होलीक्रास हॉस्पिटल में पदस्थ है,इस प्रकरण में जांच करके बताया गया है कि मृतिका एवं 6 वर्ष की पुत्री ने स्वयं फांसी लगाई थी। केस जांच में संयुक्त भागीदारी पुलिस अधीक्षक कुल 04 लोगों के नाम गए। अनावेदक क्रमांक 1 से 10 तक की उपस्थिति की जिम्मेदारी वर्तमान चौकी प्रभारी तथा अनावेदक क्रमांक 11 की होगी। अनावेदक क्रमांक 12 वर्तमान में यातायात प्रभारी सरगुजा उपस्थित हुए, शेष सभी अनावेदकों की आवश्यक उपस्थिति के लिये एसपी एवं आईजी सरगुजा के लिये पत्र भेजा जाने कहा गया। जिसमें चौकी कुन्नी के प्रभारी समस्त अनावेदक को लेकर रायपुर महिला आयोग की सुनवाई 30 मई 2025 को उपस्थित होने कहा गया।अनावेदक क्रमांक 11 और 12 को मृतिका मां और पुत्री की फोटो दिखाने पर दोनों के पैर जमीन पर होने पर फांसी दिखाया गया, जिसे दोनों पुलिस अधिकारी द्वारा आत्महत्या बताया गया है। डॉ टीम रिपोर्ट के आधार पर हत्या या आत्महत्या मानते हैं, दोनों जिम्मेदार अधिकारियों ने अभिमत का उपयोग नहीं किया और ऐसे अपराध को सामने लाने में जिम्मेदारी नही दिखायी। इसलिए आज के इस मामले में मृतका की फोटो एवं नोटशीट की कापी सरगुजा आईजी को भेजा जायेगा और इस पूरे मामले में समस्त जांच अधिकारियों के खिलाफ शोकॉज नोटिस जारी करने की अनुशंसा कि जाती है। एसपी सरगुजा 15 दिन के अंदर इस प्रकरण की जांच करा कर 15 दिन के अंदर आयोग को प्रेषित करने का पत्र भी भेजा जाएगा, ताकि आगामी सुनवाई 30 मई 2025 के पूर्व रिपोर्ट प्राप्त होने पर निर्णय लिया जा सकेगा। प्रकरण आगामी सुनवाई हेतु नियत है ।
एक अन्य प्रकरण में उपस्थित आवेदक स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मिडियम स्कूल में कार्यरत था। अनावेदक के खिलाफ आवेदिका ने शिकायत किया था कि कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न 2013 के तहत कमेटी का गठन होना था। कमेटी गाईड लाईन के तहत जांच किया गया और प्राचार्य को दोषी पाया गया था,उन्हें निलंबित किया गया। लेकिन आवेदक को 80 किमी दूर देवगढ़ स्थानांतरित कर दिया गया, जबकि 2013 कानून के तहत गलत है और इसको पेपर में प्रकाशित कराया गया। प्राचार्य और शिक्षिका को हटाया गया तथा आवेदिका को देवगढ़ में कार्य करने के दौरान अस्वस्थ होने के आधार पर अवकाश लेने के कारण उसे सेवा से पृथक किये जाने की सूचना 28 अप्रैल 2025 को दिया गया और सेवा से पृथक कर दिया गया, उक्त नोटिस पूरी तरह अवैधानिक है। कार्यवाही में इस नोटिस के आधार पर स्थगन आदेश दिया गया कि कलेक्टर सरगुजा इस आर्डर शीट के आधार पर अपने पास बुलाकर समस्त दस्तावेज देखे और आयोग को तीन माह के अंदर अपना रिपोर्ट प्रस्तुत करे इसके बाद प्रकरण की सुनवाई रायपुर में किया जायेगा। इस दौरान कहा गया कि पीड़िता और प्रताड़ित महिला को प्रताड़ना से बचाना लैंगिक उत्पीड़न 2013 का मुख्य उद्देश्य है, अतः आवेदिका को लखनपुर स्कूल में अथवा केशवपुर कार्य करने के लिए अनुमति दे और जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश 28 अप्रैल 2025 का आदेश पूर्णतः निरस्त करने की कार्यवाही करे तथा पीड़िता को शिकायत से बचाए। अनुसंशा की कापी कलेक्टर सरगुजा को निःशुल्क भेजा गया रिपोर्ट प्रस्तुत करने पश्चात आगामी सुनवाई की जावेगी।

एक अन्य प्रकरण में दोनों पक्ष लगभग 6 माह से अलग रह रहे है, उनकी दो संताने हैं। अनावेदक बैंगलोर के कोरमंगला में साइंस सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, लेकिन वर्क होम कार्य करता है। इनका वेतन 1.25 लाख है, वह दोनों बच्चों को अपने पास रखा है और आवेदिका से मिलने नहीं देता। इसलिए इस प्रकरण को छः माह के लिये संरक्षण अधिकारी वित्तबाला को दिया गया, कि वह उभयपक्ष को सामने बुलाए और दोनों बच्चों से मिलने दिया जाए, अनावेदक 25 हजार रुपए प्रति माह संरक्षण अधिकारी के सामने आवेदिका को देगा। छःमाह की निगरानी के पश्चात संरक्षण अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर रायपुर सुनवाई हेतु बुलाया जायेगा।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका न्यायालय में केस लगाना चाहती है, तो आयोग से प्रकरण नस्ती बद्ध किया गया। आवेदिका ने बताया कि अनावेदक दूसरी महिला के बच्चों का पढ़ा लिखा रहा है, कोर्ट में नहीं आता और भरण पोषण भी नहीं देता है। महिला और अनावेदक की एक संतान भी है।इस पर आयोग ने दोनो बच्चों को अनावेदक के पास रखने कहा। आवेदिका को समझाइश दिया गया कि संरक्षण अधिकारी एक साल तक निगरानी करेंगे कि अनावेदक दोनों बच्चों की परवरिश कर रहा है या नहीं । अनावेदक एवं उसकी दूसरी पत्नी के खिलाफ थाना में प्रकरण दर्ज कराएगी।
अन्य प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदक दोनों उपस्थित थे। आवेदिका ने बताया कि मई 2024 में थाना रमकोला में अनावेदक के विरूद्ध आईपीसी की धारा 376 की रिपोर्ट दर्ज कराया था। अनावेदक के अनुसार 2 माह में प्रकरण न्यायालय से समाप्त हो गया। 25 जुलाई 2024 को न्यायालय से अनावेदक दोष मुक्त हुआ, जिसकी पुष्टि अधिवक्ता ने किया है। आयोग की अध्यक्ष श्री नायक ने अनावेदक को अपना दोषमुक्ति का कागज डीपीओ कार्यालय प्रस्तुत करने कहा गया, दस्तावेज देखने के बाद ही प्रकरण को नस्तीबद्ध किया जा सकेगा। एक अन्य प्रकरण में उपस्थित आवेदिका ने उसके स्वास्थ्य के कारण से अवकाश नहीं देने अनावेदक के खिलाफ शिकायत किया है और ये भी कहा है कि अनावेदक द्वारा अवकाश स्वीकृत करने पर 15 सौ रूपये की मांग किया गया है। अनावेदक के खिलाफ आवेदिका के शिकायत पर संयुक्त संचालक सरगुजा द्वारा जांच की जानी है। जिसमें डीओ ने जांच किया है और 15 दिन पहले रिपोर्ट भेजा है। जिसपर इस रिपोर्ट की कापी मंगाने कहा गया, तभी केस की आगे की सुनवाई की जायेगी।
