Ambikapur News: जंगली हाथियों की निगरानी में बरती जा रही लापरवाही से लोगों की असमय जान जा रही है। अचानक हाथी सामने आ गया।
अंबिकापुर जंगली हाथियों की निगरानी में बरती जा रही लापरवाही से लोगों की असमय जान जा रही है। अंबिकापुर शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर ग्राम केपी अजीरमा से लगे जंगल में मंगलवार की सुबह हाथी पहुंच गया। इस बात की जानकारी ग्रामीणों को नहीं लगी।
सुबह गांव का बुजुर्ग भंडारी दास(65) गांव के ही एक व्यक्ति के साथ लकड़ी लेने जंगल गया था। अचानक हाथी सामने आ गया। भंडारी दास भाग नहीं सका। हाथी ने सूंड से उठाकर उसे दबा दिया। इधर दूसरा व्यक्ति किसी तरह जान बचाकर भाग निकला। गांव जाकर उसने ग्रामीणों को जंगल में हाथी के आ जाने की जानकारी दी।

जब ग्रामीण सुरक्षित तरीके से पहुंचे तो पता चला कि भंडारी दास को हाथी ने मार डाला है। इस घटना के बाद वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी सतर्क हो गए। आसपास के गांवों में मुनादी कराकर लोगों को जंगल न जाने की सलाह दी जाने लगी। घटना की जानकारी मिलने पर क्षेत्रीय विधायक और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन के अध्यक्ष डा प्रीतम राम भी ग्राम केपी अजीरमा पहुंचे।
सरगुजा जिले में जंगली हाथियों से सुरक्षा के लिए समुचित प्रबंध नहीं किया जा रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यालय में बैठने और हाथी प्रभावित क्षेत्र में नहीं जाने की आदत से हाथी प्रबंधन का कार्य मैदानी कर्मचारियों के भरोसे आ गया है। हाथियों के निगरानी का दावा तो किया जाता है लेकिन उच्च अधिकारियों के फील्ड में नहीं पहुंचने के कारण मैदानी कर्मचारी भी हाथी निगरानी के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करते हैं। यही कारण है कि आबादी क्षेत्र के नजदीक हाथी पहुंच जाता है और वन कर्मचारियों को सूचना तक नहीं मिल पाती। ग्रामीणों ने बताया कि जंगली हाथी के केपी अजीरमा गांव में पहुंचने को लेकर किसी प्रकार की कोई मुनादी नहीं कराई गई थी।
हाथी के केपी अजिरमा जंगल में आने की सूचना मिलते ही आसपास के गांवों में मुनादी करा दी गई थी।ग्रामीणों को सतर्क किया गया था।दो ग्रामीण जंगल चले गए थे।एक तो सुरक्षित भाग निकला था।दूसरा ग्रामीण हाथी के चंगुल में फंस गया।हाथी ने उसे सूड़ से दबा दिया था।मृतक के स्वजन को तात्कालिक आर्थिक सहायता राशि प्रदान कर दी गई है।
शैलेन्द्र अंबष्ट एसडीओ वन अंबिकापुर