Ambikapur News: तीर – धनुष के साथ पहुंचे पंडो समाज के लोगों ने शहर के मुख्य मार्ग से रैली निकाली। इनकों विशेष दर्जा प्राप्त है।
अंबिकापुर।राजस्व अभिलेखों में कांटछांट कर पंडो जनजाति को परहिया उल्लेखित करने से जनजाति वर्ग का लाभ नहीं मिल पा रहा है।मंगलवार को पंडो समाज के लोगों ने शहर में महारैली निकाली।शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए रैली संभागायुक्त कार्यालय पहुंची।यहां राज्यपाल व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया।तीर-धनुष और परंपरागत तरीके से शहर पहुंचे पंडो समाज के लोगों ने वोट के माध्यम से जनप्रतिनिधियों को चोट पहुंचाने का संकल्प लिया।पहली बार संभाग के विभिन्न जिलों से पंडो समाज के लोगों की महारैली से शहर की यातायात व्यवस्था को संभालने में पुलिस को भी पसीना बहाना पड़ा।

सर्व विशेष पिछड़े जनजाति समाज कल्याण समिति के अध्यक्ष उदय पंडो के नेतृत्व में संभाग भर से पंडो समाज के लोग मंगलवार को अंबिकापुर के कालेज मैदान में एकत्रित हुए थे। तीर – धनुष के साथ पहुंचे पंडो समाज के लोगों ने शहर के मुख्य मार्ग से रैली निकाली। पहली बार किसी जनजाति समाज की रैली में अंबिकापुर शहर में इतनी भीड़ देखी गई मुख्य मार्ग में रैली के कारण शहर की यातायात व्यवस्था पर भी असर देखा गया। रैली मुख्य मार्ग से होते हुए सीधे कमिश्नर कार्यालय पहुंची। यहां समाज के लोगों ने पंडो समाज को जनजाति वर्ग का लाभ नहीं दिए जाने तथा राजस्व अभिलेखों में कांट-छांट करने की प्रमाणित शिकायत मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम से कर जांच की मांग की। रैली रामानुजगंज चौक से रिंग रोड होते कालेज मैदान पहुंची। यहां सभा का आयोजन किया गया। सभा में उदय पंडो सहित अन्य वक्ताओं ने कहा कि हमें अपने अधिकारों के लिए इसी प्रकार एकजुट रहना है। वक्ताओं ने समाज के लोगों से कहा कि वेअपनी वोट की ताकत समझें।
अभी तक वे अपने वोट की ताकत नहीं समझ रहे थे इसलिए उनके विकास के लिए सार्थक प्रयास नहीं हुआ। अब पंचायत से लेकर संसद तक के चुनाव में जो भी प्रत्याशी सामने आएगा उसके सामने हम मजबूती से अपनी मांग रखेंगे,जो हमारे संघर्ष में साथ खड़ा होगा उसी का साथ पंडो समाज देगा। वक्ताओं ने कहा कि नेताओं को वोट की ज्यादा चिंता होती है इसलिए सभी गांव के समाज प्रमुख जो निर्णय लेंगे उसी के अनुरूप हम भी संबंधित प्रत्याशी को वोट देंगे। आर्थिक रूप से कमजोर पंडो समाज के लोग अपने अधिकार के लिए वाहन किराए पर लेकर शहर पहुंचे थे। इनमें से कई ऐसे थे, जो पहली बार अंबिकापुर आए थे।