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Election 2025: नगरीय निकाय चुनाव पर सियासत तेज, चुनाव टालने का कांग्रेस ने लगाया आरोप, बीजेपी का पलटवार – POLITICS ON URBAN BODY ELECTION

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रायपुर: नगरीय निकाय का कार्यकाल समाप्त होने में चंद दिन ही बचे हैं. इसी बीच सरकार ने नगर निगम में प्रशासक नियुक्त करने का आदेश जारी कर दिया है. प्रशासक नियुक्त किए जाने का संकेत है कि अभी नगरी निकाय चुनाव में समय है. दूसरी ओर जल्द चुनाव कराने के लिए कांग्रेस ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. राज्यपाल से लेकर राज्य निर्वाचन आयोग तक को चुनाव कराने के लिए पत्र लिखा जा रहा है. कांग्रेस क्यों चाहती है कि जल्द से जल्द चुनाव हो जाए.

नगरीय निकाय चुनाव पर सियासत:

कलेक्टर और एसडीएम को प्रशासक नियुक्त किया गया है. इस नियुक्ति के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि अभी नगरी निकाय चुनाव में समय लगेगा. जबकी विभिन्न नगरी निकायों का कार्यकाल समाप्त होना शुरू हो गया है.जनवरी की अलग-अलग तारीखों में अलग अलग नगरीय निकायों का कार्यकाल खत्म हो रहा है.

समय पर चुनाव कराने की मांग: चुनावों में अभी कितना वक्त लगेगा ये कहना मुश्किल है. पूर्व में सरकार समय पर चुनाव कराए जाने की बात कहती रही है. प्रशासक की नियुक्ति के बाद जनप्रतिनिधियों का पावर खत्म हो गया और अब प्रशासक इन निकायों का संचालन करेंगे. नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर चरण दास महंत ने भी राज्यपाल और राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर समय पर नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव कराने की मांग की है. महंत का कहना है कि उनको अभी तक इससे जुड़ा कोई जवाब नहीं मिला है.

कांग्रेस ने कसा तंज: नगरीय निकाय चुनाव में हो रही देरी को लेकर कांग्रेस ने राज्य सरकार पर जोरदार हमला बोला. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का सीधा आरोप है कि भाजपा डरी है, उनके पक्ष में माहौल नहीं है. कांग्रेस का कहना है कि भाजपा सरकार चारों तरफ से घिरी हुई है, चाहे धान खरीदी का मामला हो, बढ़ते अपराध हों, 2900 सहायक शिक्षकों को नौकरी से निकलने की बात हो. बीजेपी इन सभी मुद्दों पर डरी हुई है.

पिछले डेढ़ महीने से चुनाव को टालने की रणनीति बनाने में सरकार जुटी है. पहले अध्यादेश लाया गया. फिर इसकी समय बढ़ाने के लिए विधानसभा में विधेयक लाकर पारित किया गया. प्रशासक नियुक्ति करने का अधिकार अपने हाथ में सरकार ने लिया. अब प्रशासको की नियुक्ति की गई है. यह सरकार का अलोकतांत्रिक कदम है. सरकार का पहला साल ही जनता पर भारी पड़ रहा है. यही कारण है कि वह जनता के बीच में जा नहीं सकते, इसलिए इस चुनाव को देरी से कराना चाहते हैं. – सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, मीडिया विभाग कांग्रेस

बीजेपी का कांग्रेस पर पलटवार: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता केदार गुप्ता का कहना है कि हमारी तैयारी पूरी हो चुकी है, जल्द ही आचार संहिता की घोषणा होगी. चुनाव की तारीख भी आ जाएगी. छत्तीसगढ़ प्रदेश की जनता फिर से भाजपा की सरकार को नगरीय निकाय चुनाव तक पहुंचाने को तैयार है. केदार गुप्ता ने कहा कि जिस तरह कांग्रेस की सरकार को जनता ने धक्का दिया था, उसी तरह नगरी निकाय चुनाव में भी जनता कांग्रेस को धक्का देगी.

विष्णु देव साय की सरकार ने 18 लाख प्रधानमंत्री आवास दिए, 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी की जा रही है, महतारी वंदन योजना के तहत 72 लाख से ज्यादा माताओं बहनों के खाते में राशि दी जा रही वो काबिले तारीफ है. विष्णु देव साय के सुशासन से जनता सुखी है. अब जनता नगरीय निकाय भी विष्णु देव साय को सौंपने जा रही है. – केदार गुप्ता, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

क्या कहते हैं सियासत के जानकार: राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार राम अवतार तिवारी का कहना है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों के बयान आ रहे हैं, उसमें उनका दावा है कि चुनाव टाला नहीं जा रहा है. चुनाव समय पर होंगे. दूसरी तरफ जो प्रक्रिया चल रही है वह यह बता रही है कि चुनाव में देरी है. अभी मतदाता सूची का प्रकाशन, मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन नहीं हुआ है. अभी नामांकन प्रक्रिया और स्कूलों में चलने वाली बच्चों की पढ़ाई, परीक्षा वक्त सब बाकी है. फिलहाल तो लग रहा है कि मार्च में चुनाव जाएगा.

चर्चा है कि अपनी स्थिति को भाजपा मजबूत करना चाहती है इसलिए चुनाव में देरी हो रही है. यह भी संभावना जताई जा रही है कि प्रशासक की नियुक्ति के बाद काम में कसावट लाई जाएगी. काम तेज गति से होगा तो सरकार की छवि सुधरेगी. इसके बाद चुनाव कराने से भाजपा को ज्यादा फायदा मिलेगा. वर्तमान में यदि चुनाव होते हैं तो उसका फायदा भाजपा को मिलता नहीं दिख रहा है. खासकर शहरी क्षेत्र में स्थिति भाजपा के विपरीत है. – राम अवतार तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार

जनप्रतिनिधियों का पावर शू्न्य: राम अवतार तिवारी ने कहा कि अगर पूर्व के नगरी निकाय चुनाव की बात की जाए तो जो पार्टी सत्ता पर काबिज होती है उसे ज्यादा फायदा मिलता है. पहले कांग्रेस की सरकार थी और नगरी निकाय पंचायत दोनों में ही चुनाव में कांग्रेस को फायदा मिला. वर्तमान स्थिति की बात की जाए तो जहां जहां कांग्रेस के लोग बैठे थे उन नगरीय निकायों में प्रशासक की नियुक्ति हो रही है. जिसकी वजह से जनप्रतिनिधि का पावर शून्य हो जाता है.

विपक्ष का दावा: नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सीएम विष्णुदेव साय पहले ही कह चुके है कि देर जरूर होगी, लेकिन चुनाव टलेगा नहीं. देरी के चलते नगरीय निकायों में प्रशासक बैठाना पड़ा है. प्रशासकों की नियुक्ति पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि भाजपा सरकार चुनाव में जाने से डर रही है. सरकार को मालूम है कि चुनाव होगा तो भाजपा का सूपड़ा साफ हो जायेगा.

क्या बताते हैं पूर्व के आंकड़े: साल 2019 में 10 नगर निगम, 38 नगर पालिका, 103 नगर पंचायत समेत 151 नगरीय निकायों के लिए चुनाव हुआ. नगरीय निकायों में से 77 में कांग्रेस, 56 में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिला था, 12 निकायों में दोनों ही दलों के लगभग बराबर प्रत्याशी जीते. यानी यहां मुकाबला 50-50 का था. 8 निकायों में निर्दलीय किंगमेकर बने. 10 नगर निगमों में से 7 में कांग्रेस, 1 में बीजेपी को बहुमत मिला. 2 नगर निगमों में कांग्रेस और बीजेपी के बराबर प्रत्याशियों को जीत मिली.

कांग्रेस को मिली थी जीत: नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में भी जनता ने बीजेपी की अपेक्षा कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा जताया. प्रदेश की 38 नगर पालिकाओं में से 18 पर कांग्रेस और 17 में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिली. 3 में निर्दलीय और अन्य का दबदबा था. प्रदेश के 103 नगर पंचायतों में से 52 में कांग्रेस, 36 में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिली. 10 जगह मुकाबला बराबरी का था, 5 में निर्दलीय किंगमेकर बने.

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