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छत्तीसगढ़ : आई फ़्लू है तो स्कूल ना आएं….. घर पर ही रहें स्कूली बच्चे…… लोक शिक्षण संचालनालय ने निर्देश किया जारी

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SURESH GAIN
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"Designation'' .Chief Editor & .District reporter .From-Ambikapur Surguja C.G.497001 .Whatsapp & Call Mo.070002-54103

लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा सभी संयुक्त संचालक स्कूल शिक्षा और जिला शिक्षा अधिकारियों को आई फ्लू आंखों की बीमारी और मौसमी बीमारी के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। जिन स्कूलों के बच्चों में आई फ्लू की समस्या है उनको स्कूल आने से मना करने एवं उन्हें घर में रहने की सलाह देने कहा गया है। साथ ही मौसमी बीमारी से बचाव के उपाय और उन्हें जागरूक करने के लिए सभी शासकीय और अशासकीय स्कूलों में जानकारी देने कहा गया है।लोक शिक्षण संचालनालय से जारी पत्र में कहा गया है कि आई फ्लू आंखों की एक बीमारी है, जिसे आंख आना, आंखों का गुलाबी होना या पिंग आई भी कहते हैं। आई फ्लू बरसात के मौसम में आंखों का इंफेक्शन तेजी से फैल रहा है। आंखों के होने वाले इंफेक्शन को आई फ्लू या कंजक्टिवाइटिस कहते हैं, इसमें इंफेक्शन होने वाले बच्चों की आंखें लाल हो जाती है। इसके साथ ही आंखों से पानी निकलता रहता है और सूजन आ जाती है। कारण आंखों से साफ नहीं दिखता। आई फ्लू से बचने के उपाय – थोड़े-थोड़े समय पर अपने हाथों की सफाई करें, आंखों को बार-बार न छूए, • अपने आसपास सफाई रखें, अपनी आंखों को समय-समय पर धोए, अगर बाहर जाना ज्यादा जरूरी है तो काला चश्मा पहनकर जाएं, पीड़ित व्यक्ति से आई कांटेक्ट बनाने से बचें, संक्रमित व्यक्ति के बेड, तौलिया या कपड़े का इस्तेमाल न करें तथा समस्या अधिक होने पर अपने नजदीकी अस्पताल जाकर डॉक्टर से ईलाज कराएं। शासकीय और अशासकीय स्कूलों में यह सभी जानकारी संबंधित अधिकारियों को प्रेषित करने निर्देशित किया गया है। इस संबंध में संचालक, महामारी नियंत्रण ने अपने परिपत्र में कंजक्टिवाइटिस के लक्षणों, उपचार और इससे बचाव के बारे में भी जानकारी दी है। उन्होंने परिपत्र में कहा है कि कंजक्टिवाइटिस आंख की आम बीमारी है जिसे हम आँख आना भी कहते हैं। इस बीमारी में रोगी की आँख लाल हो जाती है, कीचड़ आता है, आँसू आते हैं, चुभन होती है तथा कभी- कभी सूजन भी आ जाती है।कंजक्टिवाइटिस होने पर एंटीबायोटिक ड्रॉप जैसेजेंटामिसिन» Gentamicine 2, सिप्रोफ्लॉक्सिन » Ciprofloxacine 2,मॉक्सीफ्लॉक्सिन » Moxifloxacin ½ आई ड्रॉप आँखों में छह बार एक-एक बूंद तीन दिनों के लिए मरीज को देना चाहिए। तीन दिनों में आराम न आने पर किसी अन्य बीमारी की संभावना हो सकती है। ऐसे में नेत्र विशेषज्ञ के पास दिखाना उचित होता है। अन्यथा गंभीर स्थिति निर्मित हो सकती है। कंजक्टिवाइटिस की जाँच एवं उपचार की सुविधा चिकित्सा महाविद्यालयों, जिला चिकित्सालयों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में निःशुल्क उपलब्ध है।

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