छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य नीता विश्वकर्मा द्वारा सोमवार को कलेक्टोरेट सभाकक्ष, अम्बिकापुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों
SURGUJA TIMES – अंबिकापुर । छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य नीता विश्वकर्मा द्वारा सोमवार को कलेक्टोरेट सभाकक्ष, अम्बिकापुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में सरगुजा जिले में आज कुल 26 प्रकरणों में सुनवाई हुई।

आज की जनसुनवाई के दौरान मानसिक प्रताड़ना के एक प्रकरण में आवेदिका उपस्थित रही और अनावेदक अवकाश में होने के कारण अनुपस्थित रहे। अनावेदक की ओर से सहायक संचालक उपस्थित हुए। अनावेदक संयुक्त संचालक के पद पर हैं। इस दौरान आवेदिका ने बताया कि अनावेदक द्वारा आवेदिका के विरूद्ध निलंबन की कार्रवाई कर उन्हें परेशान किया गया। इस संबंध में तत्कालीन कमिश्नर और कलेक्टर के समक्ष अपनी बात रखने पर उनकी की ओर से आवेदिका को सहयोग करते हुए यथावत बहाल किया गया जिससे आवेदिका अपनी सेवा में डेढ़ माह बाद वापस जा सकी। उन्होंने बताया कि इसके बाद अनावेदक द्वारा उनका स्थानांतरण कर दिया गया। आयोग अध्यक्ष नायक ने इस प्रकरण में निर्णय देते हुए उनके द्वारा अनावेदक को छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग, रायपुर में उपस्थित होने का आदेश किया गया है। संपत्ति विवाद के एक प्रकरण में दिव्यांग आवेदिका ने बताया कि अनावेदक के द्वारा उसका शारीरिक शोषण किया गया और उससे लगभग छह लाख रुपये तक की राशि ली है। आवेदिका ने बताया कि इस संबन्ध में थाना गांधीनगर में रिपोर्ट भी दर्ज कराई जा चुकी है। चूंकि प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है और अनावेदक दो माह जेल में रहकर जमानत में छूटा है, प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। नायक द्वारा आवेदिका को आवश्यक मदद हेतु विधिक सहायता प्राधिकरण और संरक्षण अधिकारी को निर्देशित किया गया।
छेड़छाड़ के एक प्रकरण में मिथ्या आरोप की बात सामने आई। जनसुनवाई में आवेदिका अनुपस्थित रहीं। अनावेदकगण ने उपस्थित होकर बताया कि उनके द्वारा आठ मार्च 2023 को आवेदिका के परिजनों पर एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने एफआईआर और की गई प्रक्रिया के दस्तावेज प्रस्तुत किए गए जिससे स्पष्ट हुआ कि आवेदिका के पति और भाई सहित तीन लोगो के विरूद्ध आठ धाराओं में प्रकरण पंजीबद्ध किया गया, जो अभी तक फरार चल रहे है। इसमें दो लोगों ने आत्मसमर्पण किया था। उन्हें जमानत के बाद निगरानी में छोड़ दिया गया है। आवेदक ने आयोग को दिनांक 14 मार्च 2023 को आवेदन प्रस्तुत किया था जिसे देखने में स्पष्ट है कि यह प्रकरण आवेदिका ने अपने परिजनों को बचाने के लिये प्रस्तुत किया है। प्रथम दृष्टया प्रकरण झूठा प्रतीत होने के कारण प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।