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Chandrayaan 3: चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग रही सफल दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बना ,पड़े खबर

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Chandrayaan 3: भारत चांद पर पहुंच चुका है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-3 मिशन ने इतिहास रचते हुए देश की उम्मीदों को चांद पर पहुंचा दिया है।चंद्रयान-3 का लैंडर शाम 6:04 मिनट पर चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतर गया।इसी के साथ भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला देश बन गया है। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास चांद की सतह पर उतरने की क्षमता है

लैंडर ने खुद से पूरी की लैंडिंग की प्रक्रिया

लैंडिंग से पहले के आखिरी 20 मिनट काफी चुनौतीपूर्ण रहे। इस समय को “डर या आंतक के 20 मिनट” कहते हैं। इसकी लैंडिंग पर वैज्ञानिकों का कोई कंट्रोल नहीं था।चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की लैंडिंग की मॉनिटरिंग बेंगलुरू में ISRO टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRAC) से की जा रही थी।लैंडर ने अपने कंप्यूटर में पहले से फीड किए गए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एल्गोरिदम और विभिन्न सेंसर्स के जरिए खुद ही लैंडिंग की प्रक्रिया पूरी की है।

लैंडिंग और रोवर के घूमने के साथ पूरे होंगे मिशन के 2 उद्देश्य

चांद की सतह पर लैंडिंग के दौरान उड़ने वाली रेजोलिथ (चांद की धूल) छंटने के बाद लैंडर का रैंप खुलेगा। इसी रैंप से लैंडर के भीतर रखा प्रज्ञान रोवर लैंडिंग के लगभग 4 घंटे बाद बाहर निकलेगा और चांद की सतह पर घूमेगा। इससे मिशन के 3 में से 2 उद्देश्य पूरे होंगे।चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग और सतह पर रोवर के घूमने की क्षमता के प्रदर्शन के बाद तीसरा उद्देश्य वैज्ञानिक प्रयोग के लिए डाटा जुटाना है।

रोवर के जरिए चांद पर भारत ऐसे छोड़ेगा अपने निशान

रोवर प्रज्ञान एक 6 पहियों वाला एक रोबोटिक वाहन है, जो चांद की सतह पर चलने और फोटो खींचने में सक्षम है। यह सिर्फ लैंडर से कम्युनिकेट कर सकता है और विक्रम को चांद से जुड़े विभिन्न डाटा भेजेगा।प्रज्ञान में ISRO का लोगो और तिरंगा बना हुआ है। ऐसे में रोवर चांद की सतह पर जहां-जहां जाएगा, वहां ISRO का लोगो और तिरंगा बनता चला जाएगा। इस तरह भारत चांद पर अपने निशान छोड़ सकेगा।

14 दिन है लैंडर के काम करने की अवधि

लैंडर विक्रम के चांद पर काम करने की अवधि 1 लूनर डे (चांद का 1 दिन) है। 1 लूनर डे धरती के 14 दिन के बराबर होता है। इन 2 हफ्तों तक लैंडर चांद से जुड़ी सभी जानकारियां धरती को भेजता रहेगा।ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने हाल ही में कहा था कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान दोनों के पास 1 अतिरिक्त लूनर डे होने की भी संभावनाएं हैं।

14 जुलाई को लॉन्च किया गया था चंद्रयान-3

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने 14 जुलाई, 2023 को चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था। चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के बाद पृथ्वी की ऑर्बिट में चक्कर काटता रहा है और फिर इसे ट्रांस लूनर इजेक्शन प्रक्रिया के जरिए चांद की ऑर्बिट में पहुंचाया गया।चांद की ऑर्बिट में कई मैन्युवर पूरा करने के बाद अब इसने सॉफ्ट लैंडिंग सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।चंद्रयान-3 की ऑर्बिट को लगातार कम करके इसको लैंडिंग के करीब लाया गया।

चांद पर उतरने की भारत की दूसरी कोशिश 

भारत का यह तीसरा चांद मिशन है, लेकिन चांद पर उतरने की दूसरी कोशिश थी। पहली बार 2019 में चंद्रयान-2 के जरिये भारत ने चांद पर कदम रखने का प्रयास किया था, लेकिन अंतिम क्षणों में वह मिशन असफल हो गया।

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