भारत में नेपाल से आने वाले नागरिकों पर कानून लागू होते हैं, लेकिन कुछ विशेष समझौतों और ऐतिहासिक संबंधों के कारण उनके लिए कुछ छूट और विशेष प्रावधान भी हैं। नीचे विस्तार से समझाते हैं:
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🇮🇳🇳🇵 भारत-नेपाल के बीच की संधि:
1950 की भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि (Treaty of Peace and Friendship, 1950)
इस संधि के तहत:
1. भारत और नेपाल के नागरिक बिना वीज़ा और पासपोर्ट के एक-दूसरे के देश में आ-जा सकते हैं।
2. नेपाल के नागरिक भारत में रह सकते हैं, काम कर सकते हैं, व्यवसाय चला सकते हैं और पढ़ाई भी कर सकते हैं।
3. उन्हें वर्क परमिट या रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं होती, जैसा कि अन्य विदेशी नागरिकों को होता है।
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लेकिन कानून लागू होते हैं:
नेपाल के नागरिक:
भारतीय संविधान और कानूनों के अंतर्गत आते हैं जब वे भारत की भूमि पर होते हैं।
अगर कोई नेपाली नागरिक भारत में अपराध करता है, तो उस पर भारतीय IPC (Indian Penal Code) और अन्य संबंधित कानून लागू होंगे।
वे सरकारी नौकरियों (except certain defense/security roles) में नहीं आ सकते।
मतदान का अधिकार नहीं होता, जब तक कि वे भारतीय नागरिकता नहीं ले लेते।
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क्यों छूट दी गई है?
भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा (Open Border) है, जो दुनिया में बहुत कम देशों के बीच है।
सांस्कृतिक, धार्मिक, भाषाई और पारिवारिक रिश्ते दोनों देशों के लोगों के बीच ऐतिहासिक रूप से गहरे हैं।
इसी कारण दोनों सरकारें आपसी सहमति से नागरिकों को आसान आवाजाही और काम की सुविधा देती हैं।
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विवाद और चिंता:
हाल के वर्षों में कुछ लोग पूछते हैं:
“नेपाल के लोग भारत में काम करते हैं, लेकिन टैक्स या डॉक्यूमेंटेशन नहीं होता।”
“वे सस्ते मजदूर के रूप में आते हैं, जिससे स्थानीय लोगों को नुकसान होता है।”
इन बातों पर भारत सरकार समय-समय पर विचार करती है, लेकिन अभी तक संधि को बदला नहीं गया है।
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निष्कर्ष:
नेपाल से भारत में आने वाले लोग पूरी तरह कानून से मुक्त नहीं हैं।
उन पर भारतीय कानून लागू होते हैं, लेकिन 1950 की संधि की वजह से उन्हें कुछ विशेष सुविधाएं प्राप्त हैं, जैसे वीजा फ्री यात्रा और रोजगार का अधिकार।
अगर आप चाहें, तो मैं इस पर RTI फॉर्म या जन जागरूकता पोस्ट भी बना सकता हूँ।