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Crime News: छेड़छाड़ के आरोपित को न्यायिक कारावास,अर्थदंड भी

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अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने पर आरोपित को एक-एक माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

अंबिकापुर। अपर सत्र न्यायाधीश फ़ास्ट टैक स्पेशल कोर्ट (पाक्सो एक्ट) पूजा जायसवाल के न्यायालय ने छेड़छाड़ के आरोपित अंबिकापुर निवासी अहमद रजा उर्फ बाबा(20)को अभिरक्षा अवधि तक कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई है।आरोपित को 28 जून 2020 को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया था तब से निर्णय दिनांक एक मार्च 2023 तक आरोपित अभिरक्षा में था। इसी अवधि को कारावास में समायोजित किया गया है।

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मामले में न्यायालय ने नाबालिग पीड़िता को एक लाख रुपए प्रतिकर की राशि राज्य सरकार की योजना के तहत प्रदान करने की अनुशंसा की है।अतिरिक्त लोक अभियोजक राकेश सिन्हा ने बताया कि आरोपित अहमद रजा उर्फ बाबा द्वारा शहर की नाबालिग का बदनीयती से लगातार पीछा किया जा रहा था।

पीड़िता द्वारा विरोध करने पर आरोपित ने इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म का उपयोग कर पीड़िता को बदनाम करने का प्रयास किया गया।पीड़िता के नाम पर फेसबुक का फर्जी एकाउंट बनाकर अश्लील फोटो प्रचारित किया गया।पीड़िता के स्वजन द्वारा आपत्ति दर्ज कराए जाने पर आरोपित ने माता-पिता को जान से मारने की धमकी दी।इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म के माध्यम से यौन उत्पीड़न से परेशान पीड़िता ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।

पुलिस ने आरोपित अहमद रजा उर्फ बाबा के विरुद्ध छेड़छाड़, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम तथा आईटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध पंजीकृत किया गया था। कोतवाली पुलिस ने आरोपित के विरुद्ध प्रकरण की जांच के पश्चात अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया था।

प्रकरण के सारे तथ्यों की सुनवाई और पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ट पाक्सो एक्ट पूजा जायसवाल के न्यायालय ने आरोपित अहमद रजा उर्फ बाबा को दिनांक 29 जून 2020 से 1 मार्च 2023 तक कारावास की सजा सुनाई है। दो अलग-अलग धारा में कारावास के अलावा पांच-पांच सौ रुपए अर्थदंड की सजा भी सुनाई गई है।

अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने पर आरोपित को एक-एक माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। न्यायालय ने इस मामले में छत्तीसगढ़ शासन की योजना के तहत पीड़िता को एक लाख की प्रतिकर की राशि दिए जाने की भी अनुशंसा की है।न्यायालय ने कहा है कि यदि पीड़िता को पूर्व में राशि मिली है तो न्यायालय द्वारा अनुशंसित प्रतिकर की राशि को उस में समायोजित कर दी जाए।

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