Ambikapur News : सुरेश गाईन / सरगुजा टाइम्स | अम्बिकापुर 23/01/2024 – शहर सीमा से लगे ग्राम सकालो में वन विभाग के विश्राम गृह परिसर में ग्रामीणों की सजगता से भारी मात्रा में व्यवसायिक तौर पर शराब निर्माण का भांडा फूटा है।
मौके से हाईटेक तकनीक से देशी महुआ शराब बनाने के सामान बरामद किए गए हैं। शराब निर्माण के इस स्थल को फैक्टरी के रूप में विकसित कर लिया गया था। मौके से लगभग चार सौ लीटर देशी महुआ शराब, एक हजार किलो महुआ लहान के साथ छोटी-बड़ी दर्जनों पानी की टँकिया, जरीकेन,पंप, पाइप, गुड,सौंफ़ सहित अन्य सामान बरामद किया गया है। इस मामले में चार संदिग्धों को पकड़ा गया है। उनसे पूछताछ की जा रही है। इन लोगों पर गांव में चोरी और चोरी के सामान खपाने का भी आरोप है।
पुलिस सामानों की जब्ती के साथ संदिग्धों से पूछताछ भी कर रही है।
गांधीनगर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत सकालो व आसपास के क्षेत्र में चोरी की छोटी बड़ी घटनाएं हो रही थी। इसमें एक संदिग्ध का नाम सामने आया था।उसकी खोजबीन में गांववाले लगे हुए थे। सकालो में वन विभाग का एक विश्राम गृह (रेस्ट हाउस) है। उसी क्षेत्र में संदेही के होने की संभावना पर गांववाले वहां पहुंच गए।
रेस्ट हाउस के पीछे झोपड़ी थी।उसे मिट्टी से लेप कर मकान बनाया जा रहा था। गांववाले जब वहां पहुंचे तो महुआ शराब का अवैध फैक्टरी मिला। बड़े-बड़े ड्रम,पानी की टँकी तथा बर्तनों में भरकर रखे शराब को देखकर सभी अवाक रह गए। यहां शराब निर्माण का कार्य चल रहा था।
बकायदा पूरा हाईटेक सिस्टम लगाया गया था।
400 लीटर देशी महुआ शराब के साथ लगभग 1000 किलो महुआ भीगा कर रखा गया था। सूचना पर सीएसपी स्मृतिक राजनाला (आइपीएस) पुलिस बल को लेकर मौके पर पहुंचे। टुल्लू पंप, जरीकेन, ब्लोअर, एक दर्जन विभिन्न आकार के पानी टंकी, पंखा सहित भारी मात्रा में सामान मिला।मौके पर कमल के साथ तीन अन्य संदेही मिले। सभी को हिरासत में ले लिया गया है। उनसे पूछताछ की जा रही है।
पूछताछ में सारे तथ्य सामने आ जाएंगे।आबकारी विभाग से भी जानकारी ली जा रही है। कल तक इस मामले का राजफाश हो जाएगा। सीएसपी स्मृतिक राजनाला ने बताया कि महुआ शराब, महुआ के साथ सामान बरामद किया गया हैं। संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है।
व्यवसायिक तौर पर शराब निर्माण के लिए अवैध फैक्टरी को व्यवस्थित तरीक़े से संचालित किया जा रहा था। आधा दर्जन से भी अधिक भट्ठी में बर्तन चढ़ाकर शराब बनाया जा रहा था।इसके लिए अलग- अलग चूल्हे बनाए गए थे। चूल्हे में आग जलाने के लिए पंखों का उपयोग किया गया था। शराब निर्माण के लिए गुड और सौंफ का उपयोग किया जा रहा था। सौंफ का उपयोग करने से महुआ की महक कम हो जाती है। गुड़ और सौंफ का उपयोग करने से शराब का स्वाद भी बदल जाता है। व्यावसायिक तौर पर इसकी खपत कहां हो रही थी, इसका पता भी नहीं चल सका है। संदिग्धों से पूछताछ कर पुलिस पूरे गिरोह के संबंध में जानकारी जुटाने का प्रयास कर रही है।
वन विभाग के परिसर का हो रहा था उपयोग
प्रतापपुर मुख्य मार्ग के किनारे वन विभाग का रेस्ट हाउस है। उसके बगल में ही देशी शराब निर्माण की फैक्ट्री चल रही थी। वन विभाग के परिसर का उपयोग इस अवैध कार्य के लिए किया जा रहा था। इस रेस्ट हाउस में वन अधिकारी-कर्मचारियों का भी आना-जाना था। परिसर में अवैध कब्जे के बावजूद यह जानने का प्रयास नहीं किया गया कि बगल में बनाई गई झोपड़ी में शराब निर्माण का खुला खेल चल रहा है। ऐसे में वन कर्मचारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि पुलिस यह दावा कर रही हैhttps://youtube.com/shorts/3QxCZydFp0I?si=h9ZeKoWvhJ4QkdUE कि शराब निर्माण के अवैध कारोबार में वन विभाग का कोई भी कर्मचारी शामिल नहीं है।